नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के कथित भ्रामक विज्ञापन को लेकर योगगुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अवमानना का नोटिस जारी किया है और दो सप्ताह बाद कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पतंजलि के विज्ञापन प्रकाशित करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था इसके बावजूद विज्ञापन छपवाया। इस पर जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए बाबा रामदेव और एमडी आचार्य बालकृष्ण से जवाब मांगा है। जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने हाजिर होने का आदेश दे दिया और अवमानना का नोटिस भी थमा दिया।
योगगुरु बाबा रामदेव को भी बनाया गया है पार्टी
खास बात यह है कि पतंजलि के उन विज्ञापनों में योगगुरु बाबा रामदेव की तस्वीर भी लगी थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें भी पार्टी बनाया और पूछा कि आखिर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों ना शुरू की जाए?
कोर्ट ने कहा, हमने पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों को देखा है। उन्होंने ड्रग्स ऐंड मैजिक रेमेडीज ऐक्ट 1954 का भी उल्लंघन किया है। इस कानून का सेक्शन 3 ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, अर्थराइटिस, अस्थमा जैसे रोगों को जड़ से खत्म करने के प्रचारों पर प्रतिबंध लगाया है। वहीं पतंजलि की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि पतंजलि से बाबा रामदेव का कोई लेना देना नहीं है। कोर्ट को उनकी बात सुननी चाहिए। इसपर बेंच ने कहा, बाबा रामदेव ने हमारे आदेश के बाद भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।
केंद्र सरकार को भी लिया आड़े हाथ
वहीं इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उसका जवाब ऑन द रिकॉर्ड नहीं था। कोर्ट को केंद्र के जवाब की कॉपी नहीं मिल पाई है।
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